"घूम-घूम करें प्रचार, वस्त्र पहन के खादी
लश्कर इनका ऐसे चले,जैसे आतंकवादी
हम डूबे रहे गुलाल और पकवान की मस्ती में
और चौक पर कोई निवाले को तरसता रहा
रंगो की डोली आयी तुम न आये
गुलाल संग ठिठोली आयी तुम न आये
मन मोरा असुवन मे डूबा और तन कोरा रहा
खुशियो की होली आयी तुम न आये
गलियाँ सूनी आँगन सूना
सूना घर संसार।
मेरे रोम-रोम में साजन
बसा है तेरा प्यार।