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मै और मेरा बेटा व्यंग


आज कुछ पुरानी बाते याद आ रहीं हैं, अपूर्व मेरा बेटा जब दसवीं कक्षा मे था तो मै उसे हिन्दी पढाया करती थी ,विशेषकर कविता। कविता मे उसे बिल्कुल रुचि नहीं थी पर परीक्षा देनी थी इसलियें पढना तो था ही। शब्दों का अर्थ समझाने के बाद भावार्थ समझाना बहुत कठिन हो जाता क्योंकि उसके कोर्स की कविताओं मे जो विषय लिये गये थे वो या तो दार्शनिक से थे या फिर उस आयु के लियें बेहद नीरस। अंत मे यही होता कि ‘’मां मै रट लूँगा परीक्षा से 2-3 दिन पहले लिख कर रख दो।‘’ आखिर मै कितना लिखूँ और वो कितना रटे!
कवियों का जीवन परिचय और साहित्यिक परिचय भी परीक्षा मे अवश्य ही आता था, जब कवि की एक रचना समझना कठिन है तो साहित्यिक परिचय कैसे लिखें 8-9 कवि और उतने ही लेखक तो होंगे कोर्स मे।
अपूर्व ने ही सुझाव दिया कि ‘’मां एक चार्ट बना दो उसमे सब कवियों और लेखकों के नाम फिर जन्म तिथि जन्म स्थान और हरेक की दो दो किताबों के नाम लिख दो बाकी सबकी कविताओं की तारीफ मे कुछ कुछ लिख दूँगा नम्बर लेने के लियें कुछ तारीफ करना ज़रूरी है, बुराई तो कर नहीं सकते।‘’
मैने चार्ट बना दिया सुपुत्र जी ने देखा फिर अपने अंदाज़ मे बोले ‘’ये बर्थ डे क्यों याद करनी पड़ती है?अब कवियों को फोन कर के हैप्पी बर्थ डे कहना है क्या ?
मै निरुत्तर...
फिर उनके जन्म स्थान ‘’अरे माँ ये सब कहाँ कहाँ जाकर पैदा हुए इन छोटे छोटे गाँवो के नाम कैसे याद होंगे दिल्ली मुंबई मे कवि और लेखकों जन्म क्यों नहीं लेते ? यहाँ भी हमसे दुश्मनी !’’
‘’मां आप कहाँ पैदा हुईं थी?’’ अचानक मुझ पर सवाल दाग दिया ।
‘’बेटा, बुलन्दशहर’’ मैने बताया।
‘’तभी कविता लिखने का शौक है’’ उसने निराशा के साथ कहा।
उस समय मेरी कवितायें और लेख पत्रिकाओं मे प्रकाशित होने लगे थे।
अपू्र्व एकदम बोल पड़ा ‘’लिखना है तो कविता लिखो पर छपवाना बन्द करो।‘’
मैने पूछा ‘’क्यों ?’’
‘’अगर किसी NCERT वाले को पसन्द आ गईं आपकी कवितायें और कोर्स की किताब मे डाल दी गईं तो बच्चे बहुत कोसेंगे। मेरी मां को कोई बुरा भला कहे मै बर्दाश्त नहीं कर सकता।‘’ उसने मासूम सा, भावुक सा जवाब दिया ।
समस्त कविगण इसे चेतावनी समझ सकते हैं !
कृपया ध्यान दें!
पाठ्यक्रम निर्धारित करने वाले भी विचार करें।

 

बीनू भटनागर

 

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