हजारों ख्वाब आँखों में हमारी मुस्कुराये हैं
हवा पुर कैफ चलने सी लगी है
ख्वाब जैसे ख्याल होते हैं
"कैसे करूं"
"क्यों है"
ऐसे ही
हाँ खैरात हुँ मैं
किस्मत का उपहास