यूँ न इतराओ अहले करम जिंदगी
मौसम का हुस्न ऐसा कि दीवाना बना दे
रोना हज़ार रोते रहे देश काल के
उनसे बिछड़े तो आज ये जाना
जफा की धूप में अब्र-ए-वफ़ा की शाद रखता हूँ