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संचिता घोष

 

arziyan

 

 

 

ऐसा लगता है यह वक़्त ना बीतेगा तेरे बिना ,ये मैं और मेरा खुदा ही जानता है की
हर अंशकून में हमने सिर्फ तेरा ही नाम है लिया।

आप हमसे दूर बहले ही अभी ,लेकिन हर पल आपकी याद में गुज़ारा है,
आप की राह में हम इंतज़ार करेँगे ,क्यूंकि अब इन् साँसों पे भी हक़ आपका है.

अन्धेरो में उम्मीदो ने दिया सहाराथा ,
जैसे डुबते हुए नाव को मिला कोई किनारा था ,
ज़िन्दगी का सार अब जा कर समझआया था।



पहचान,फिर कहलायेगा तू सच्चा इंसान...

 

 

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