''ओस की बूंदें ढलक कर, छल गईं प्रियतम का मन, बन गई हैं जल मेरे जीवन का, हे! चंदाबदन, हिम-अगन का मेल अप्रतिम,लेख संजय क्या लिखे, रात्रि में अभिसार शशि का, दिवस में रवि की तपन।। ''