फिर वही लवरेज़ मंजर तैरता देखा गया
मैं किसी के हाथ की बिगड़ी हुई तकदीर हूॅ,
नयन की भाषा तुम्हारी मोरपंखी गीत का
दीप सागर की सतह पर रात भर जलता रहा
उम्र के हसीन दिन सरहद पर बिताये हमने
इश्क का दरिया बहुत है गहरा
दर्दे दिल में दर्द का कोई निशां होता नहीं
जीते जी रिश्ता-ए-दिलवर तुमसे तोड़ा नहीं गया
जब हमारे गीत रहबर गायेंगे.
navakiran avataran hona chahiye
ab nahi itna sawarna chahiye
ab naya suraj ugana chahiye
kathan
sparsh
drishti
sugandh
shrawan