दोहे
कुण्डली
घनाक्षरी
दुर्मिल सवैया
मत्तगयन्द सवैया
छंदों से लें प्रेरणा
होली का त्यौहार
कसम है तुम्हें तुम्हारे इतिहास की
श्रेय किसको ?
सिर्फ़ पानी
कन्हैया तेरी ये वंशी
स्वागत है नव वर्ष का
"माँ"
"जय जवान"
"स्वामी विवेकानंद के सदवचन"
“भूकम्प, घर और हम”
आज के परिवेश में एक प्रश्न सभी से
"कविता"
"हिन्दी महिमा"
"अक्सर देखा है"
"बेगैरत"
"दिल की चाहत"
गौमाता
"बचपन के दिन"
"प्रभु परशुराम की महिमा"
"माँ सरस्वती वंदना "
माँ की महिमा
"अपनी बात "
"होली के रंग "
किसान का दर्द
एक मजदूर का दंश
"संगीत का मर्म"